उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्धवम् ।
एरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम् ॥ २७ ॥
एरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम् ॥ २७ ॥
घोड़ों में मुझे उच्चःश्रवा जानो, जो अमृत के लिए समुद्र मंथन के समय उत्पन्न हुआ था। गजराजों में मैं ऐरावत हूँ तथा मनुष्यों में राजा हूँ।
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मुझे उच्चःश्रवा जानो
समस्त घोड़ों के मध्य में
निकला था जो अमृत हेतु
समुद्र मंथन के उपलक्ष्य में ।
हाथियों के मध्य में मैं
समुद्र से उत्पन्न ऐरावत हूँ
मनुष्यों के बीच में मैं
नरपति प्रजा पालक हूँ ।।