Wednesday, December 23, 2015

अध्याय-1,श्लोक-10

अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्‌ ।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्‌ ॥ १० ॥
हमारी शक्ति अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भलीभांति संरक्षित हैं, जबकि पांडवों की शक्ति भीम द्वारा भलीभांति संरक्षित होकर भी सीमित है.

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"दोनों सेनाओं की शक्तियों की
कर रहा है दुर्योधन तुलना यहाँ.
भीष्म के होने पर है गर्व उसे कि
उनकी बराबरी में भीम है ही कहाँ.

कह रहा है कि मेरी शक्ति अथाह
और मेरी सेना पूरी तरह सुरक्षित है.
कमी है विरोधियों की सेना क्योंकि
वह कम अनुभवी भीम द्वारा रक्षित है."

अध्याय 1 श्लोक 9

अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः ।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ॥ ९ ॥
ऐसे अन्य अनेक वीर भी हैं जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्दत हैं. वे विविध प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्द्विद्या में निपुण हैं.

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"अनेक वीर हैं उसकी भी सेना में
दुर्योधन यह अभिमान जता रहा है.
अपने प्राण देने को भी तैयार सब
गुरु को अपने वे ये समझा रहा है.

न कमी है हथियारों की उन सबको
सुसज्जित खड़े हैं रणभूमि में अब
युद्द कला की निपुणता भी अपनी
वे दिखलायेंगे युद्ध शुरू होगा जब."