Sunday, September 17, 2017

अध्याय-10, श्लोक-28

आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्‌ ।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ॥ २८ ॥
मैं हथियारों में वज्र हूँ, गायों में सुरभि, संतति उत्पत्ति के कारणों में प्रेम का देवता कामदेव तथा सर्पों में वासुकि हूँ।
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इंद्र का वज्र हूँ मैं
सभी प्रकार के हथियारों में
मुझे सुरभि जानों
गायों के समस्त प्रकारों में।

धर्मानुसार संतानोत्पत्ति में
मैं प्रेम का देव कंदर्प हूँ
साँपों के मध्य में मैं
स्वयं वासुकि सर्प हूँ।

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