Saturday, July 25, 2009

अध्याय 1 श्लोक 8

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥ ८॥
मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं.

**********************************
"दुर्योधन अपने उन महारथियों का
कर रहा था विशेषतया उल्लेख
जो सदैव विजयी रहे थे और आज
कर रहे थे इसकी सेना की देखरेख

मेरी सेना में गुरुदेव स्वयं आप और
है भीष्म ,कर्ण ,कृपाचार्य जैसे जयी
विकर्ण और सोमदत्त पुत्र भूरिश्रवा भी
जो रहे है सदा ही युद्धभूमी में विजयी "

अध्याय 1 श्लोक 7

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम ।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥ ७ ॥
किन्तु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! आपकी सूचना के लिए मै अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूँगा जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं.
************************************
"प्रारंभ किया कूटनीतिक दुर्योधन ने
अपनी सेना का भी विस्तृत वर्णन
नायकों और उनकी युद्ध कुशलता
का कर रहा था गुरु के आगे चित्रण

गुरु को प्रसन्न करने के लिए अब
बताने लगा अपनी सेना के भी गुण.
बता रहा है उन नायकों के विषय में
सेना संचालन में जो है विशेष निपुण."