Saturday, July 25, 2009

अध्याय 1 श्लोक 7

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम ।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥ ७ ॥
किन्तु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! आपकी सूचना के लिए मै अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूँगा जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं.
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"प्रारंभ किया कूटनीतिक दुर्योधन ने
अपनी सेना का भी विस्तृत वर्णन
नायकों और उनकी युद्ध कुशलता
का कर रहा था गुरु के आगे चित्रण

गुरु को प्रसन्न करने के लिए अब
बताने लगा अपनी सेना के भी गुण.
बता रहा है उन नायकों के विषय में
सेना संचालन में जो है विशेष निपुण."

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