Monday, January 4, 2016

अध्याय-1,श्लोक-11

अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः ।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि ॥ ११॥
अतएव सैन्यव्यूह में अपने-अपने मोर्चों पर खड़े रहकर आप सभी भीष्म पितामह को पूरी-पूरी सहायता दें.
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"करके महारथियों की प्रशंसा दुर्योधन
अब शेष योद्धाओं का उत्साह बढ़ा रहा.
उनकी भी महत्ता कम नही किसी से
बड़े ही कूटनीतिक ढंग से है बता रहा.

अपने-अपने मोर्चों पे ही रहे सब डटकर
किसी भी दिशा से शत्रु व्यूह तोड़ न पाए
इसतरह रखकर हर दिशा को सुरक्षित
भीष्म पितामह को आप सहायता पहुंचाए."

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