Monday, January 4, 2016

अध्याय-1,श्लोक-12

तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः ।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शंख दध्मो प्रतापवान्‌ ॥ १२ ॥
तब कुरुवंश के वयोवृद्ध परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह-गर्जना की सी ध्वनि करने वाले अपने शंख को उच्च स्वर से बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ.
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"जानकार दुर्योधन की मनोदशा
पितामह ने शंख अपना बजा दिया.
शंख की इस सिंह-नाद सी ध्वनि से
युद्ध है कर्त्तव्य उनका ये बता दिया.

सुनकर पितामह की शंख-ध्वनि
दुर्योधन के हर्ष की सीमा न रही.
परम प्रतापी कुरुश्रेष्ठ पितामह
हैं सिर्फ मेरे साथ और कहीं नही."

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