Monday, January 4, 2016

अध्याय-1,श्लोक-14

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः ॥ १४ ॥
दूसरी ओर से श्वेत घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले विशाल रथ पर आसीन कृष्ण तथा अर्जुन ने अपने-अपने दिव्य शंख बजाये.
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"दूसरी ओर श्वेत अश्वों से सज्जित
विशाल रथ पर बैठे हैं स्वयं माधव .
बने हैं जिस रथ के सारथी वे आज
आसीन हैं उसपे उनके भक्त पाण्डव.

विपक्ष की शंख ध्वनि के पश्चात
इन्होने भी अपने-अपने शंख बजाए.
सुनकर इनके शंखों की ध्वनि को
संजय इन शंखों को दिव्य बताए."

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