Friday, September 30, 2016

अध्याय-1,श्लोक-39

कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः ।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥ ३९ ॥
कुल का नाश होने पर सनातन कुल-परम्परा नष्ट हो जाती है और इस तरह शेष कुल भी अधर्म में प्रवृत्त हो जाता है।
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हमारी सनातन कुल-परम्पराएँ भी
इस युद्ध के बाद नष्ट हो जाएँगी।
जब कुल ही नही रहेगा तो फिर
प्रभु, ये परम्पराएँ कहाँ से आएँगी।

घर के वयोवृद्धों का यूँ निधन तो
संस्कारों-परम्पराओं पर प्रहार होगा।
शेष कुल का अधर्म में प्रवृत्त होना
संस्कारों की कमी का उपहार होगा।

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