योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः ।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः ॥ २३ ॥
मुझे उन लोगों को देखने दीजिये जो यहाँ पर धृतराष्ट्र के दुर्बुद्धि पुत्र (दुर्योधन) को प्रसन्न करने की इच्छा से लड़ने के लिए आये हुए हैं.
***********************************
"बताया पार्थ ने केशव को अब अपने
सेनाओं के मध्य में आने का कारण.
जिससे करने जा रहा था युद्ध अब वो
करना चाह रहा उनका भी आकलन.
देखना चाहे कि कौन-कौन हैं वे योद्धा
जो आये हैं विपक्ष से लड़ने के लिए.
दुर्बुद्धि दुर्योधन की प्रसन्नता हेतु आज
जिन्होंने अपने प्राण भी उसको दे दिए."
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः ॥ २३ ॥
मुझे उन लोगों को देखने दीजिये जो यहाँ पर धृतराष्ट्र के दुर्बुद्धि पुत्र (दुर्योधन) को प्रसन्न करने की इच्छा से लड़ने के लिए आये हुए हैं.
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"बताया पार्थ ने केशव को अब अपने
सेनाओं के मध्य में आने का कारण.
जिससे करने जा रहा था युद्ध अब वो
करना चाह रहा उनका भी आकलन.
देखना चाहे कि कौन-कौन हैं वे योद्धा
जो आये हैं विपक्ष से लड़ने के लिए.
दुर्बुद्धि दुर्योधन की प्रसन्नता हेतु आज
जिन्होंने अपने प्राण भी उसको दे दिए."
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