Friday, April 8, 2016

अध्याय-1,श्लोक-24

संजय उवाचः
एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्‌ ॥ २४ ॥

संजय ने कहा - हे भरतवंशी ! अर्जुन द्वारा इस प्रकार संबोधित किये जाने पर भगवान् कृष्ण ने दोनों दलों के बीच में उस उत्तम रथ को लाकर खड़ा कर दिया.
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" जो आगे हुआ है अब युद्धभूमि में
धृतराष्ट्र को संजय सब सुना रहे हैं.
सुनकर अपने सखा की बातों को
क्या किया भगवन ने ये बता रहे हैं.

नींद और अज्ञान पर विजय पा चुके
गुडाकेश का यह संबोधन सुनकर.
समस्त इन्द्रियों के स्वामी हृषिकेश ने
खड़ा किया रथ सेनाओं के मध्य लाकर."

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