Friday, April 8, 2016

अध्याय-1,श्लोक-25

भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम्‌ ।
उवाच पार्थ पश्यैतान्‌ समवेतान्‌ कुरूनिति ॥२५ ॥

भीष्म, द्रोण तथा विश्व भर के अन्य समस्त राजाओं के सामने भगवान् ने कहा कि हे पार्थ ! यहाँ पर एकत्र सारे कुरुओं को देखो.
**************************************
"भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और भी
न जाने कितने योद्दा थे सामने खड़े.
विश्व के कोने-कोने से हो एकत्रित
प्रतीक्षा में थे कि कब पांडवों से लड़ें.

देखकर उन राजाओं को भगवन ने
भक्त को पार्थ कह संबोधित किया.
याद रहे उसे उसका संबध पृथा से
यह कह कुरुओं की ओर इंगित किया."

No comments:

Post a Comment