Thursday, February 16, 2017

अध्याय-9, श्लोक-28

शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्य से कर्मबंधनैः ।
सन्न्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥ २८ ॥
इसतरह तुम कर्म के बंधन तथा इसके शुभाशुभ फलों से मुक्त हो सकोगे। इस संन्यास योग में अपने चित्त को स्थिर करके तुम मुक्त होकर मेरे पास आ सकोगे।
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इसतरह अपने सारे कर्म जब
तुम मुझमें समर्पित कर दोगे ।
तब कर्म व उसके शुभ-अशुभ
सारे फलों से तुम मुक्त होगे।।

सांसारिक भोगों से विरक्ति
और मन मुझमें ही लगाएगा।
तब हर बंधन से छूटकर जीव
मेरे पास वापस आ जाएगा।।

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