Tuesday, July 11, 2017

अध्याय-10, श्लोक-19

श्रीभगवानुवाच
हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः ।
प्राधान्यतः कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे ॥ १९ ॥
श्रीभगवान ने कहा-हाँ, अब मैं तुमसे अपने मुख्य-मुख्य वैभवयुक्त रूपों का वर्णन करूँगा क्योंकि हे अर्जुन! मेरा ऐश्वर्य असीम है।
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हे कुरुश्रेष्ठ! मेरे तो ऐश्वर्य अनंत
सबको यहाँ कहा न जा सकता
इतना विस्तार मेरे व्यक्तित्व का
कि समय में वो समा न सकता।

भगवान ने कहा अर्जुन से कि
बता रहे हैं अब वे अपने वैभव
बताएँगे मुख्य-मुख्य ही क्योंकि
सबको बता पाना नहीं है संभव ।।

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