आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान् ।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी ॥ २१ ॥
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी ॥ २१ ॥
मैं आदित्यों में विष्णु, प्रकाशों में तेजस्वी सूर्य, मरूतों में मरीचि तथा नक्षत्रों में चंद्रमा हूँ।
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बारह आदित्यों की श्रेणी में
मैं विष्णु हूँ प्रधान आदित्य
जितने भी ज्योतिपुँज जग में
उन सबमें हूँ मैं तेजस्वी सूर्य।
मैं वायु का अधिष्ठाता मरीचि
जितने भी है वायु प्रवाहमान
नक्षत्रों की टोली में हूँ मैं चंद्रमा
नक्षत्रों की टोली में हूँ मैं चंद्रमा
सौम्य, शीतल, प्रकाशवान।।
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