Tuesday, July 11, 2017

अध्याय-10, श्लोक-20

अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः ।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥ २० ॥
हे अर्जुन! मैं समस्त जीवों के हृदयों में स्थित परमात्मा हूँ। मैं ही समस्त जीवों का आदि, मध्य तथा अंत हूँ।
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हे अर्जुन! मैं समस्त प्राणियों के
हृदय में सदा ही स्थित रहता हूँ
परमात्मा रूप में रहकर भीतर
मैं ही हर जीव को चेतना देता हूँ।

मुझसे ही सबकी हुई है उत्पत्ति
मैं ही उनका भरण भी करता हूँ
मैं उनके जीवन का कारण और
मैं ही मृत्यु का कारण बनता हूँ।।

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