पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः ।
वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च ॥ १७ ॥
वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च ॥ १७ ॥
मैं इस ब्रह्मांड का पिता, माता, आश्रय तथा पितामह हूँ। मैं ही ज्ञेय (जानने योग्य), शुद्धिकर्त्ता तथा ओंकार हूँ। मैं ही ऋग्वेद, सामवेद तथा यजुर्वेद हूँ।
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मैं ही हूँ पालनकर्त्ता पिता
मैं ही सबकी जननी माता।
मैं ही वो मूल स्रोत पितामह
मैं ही हूँ सबका आश्रयदाता।।
मैं ही हूँ जानने योग्य जग में
मैं ही शुद्धिकर्त्ता व ओंकार हूँ।
मैं ही हूँ ऋग्वेद और सामवेद
मैं ही यजुर्वेद का आधार हूँ।।
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