Sunday, January 15, 2017

अध्याय-9, श्लोक-20

त्रैविद्या मां सोमपाः पूतपापा
यज्ञैरिष्ट्‍वा स्वर्गतिं प्रार्थयन्ते ।
ते पुण्यमासाद्य सुरेन्द्रलोक-
मश्नन्ति दिव्यान्दिवि देवभोगान्‌ ॥ २० ॥
जो वेदों का अध्ययन करते तथा सोमरस का पान करते हैं, वे स्वर्ग प्राप्ति की गवेषना करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से मेरी पूजा करते हैं। वे पापकर्मों से शुद्ध होकर, इंद्र के पवित्र स्वर्गिक धाम में जन्म लेते हैं, जहाँ देवताओं का सा आनंद भोगते हैं।
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तीनों वेदों के अनुसार जो भी 
यज्ञ द्वारा मेरी पूजा करते हैं।
पूजा से पवित्र हो सोम रस 
वाले स्वर्ग की प्रार्थना करते हैं।

ऐसे लोग फिर पुण्य प्राप्त कर 
स्वर्ग लोक तक पहुँच जाते हैं।
इंद्र के उस लोक में जाकर वे 
देवताओं के सारे सुख पाते हैं।।

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