Tuesday, January 24, 2017

अध्याय-9, श्लोक-26

पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति ।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः ॥ २६ ॥
यदि कोई प्रेम तथा भक्ति के साथ मुझे पत्र, पुष्प, फल या जल प्रदान करता है, तो मैं उसे स्वीकार करता हूँ।
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प्रेम से भरकर एक पत्ता या   
एक फूल ही कोई चढ़ा दे।
कुछ नहीं तो जल ले आए 
या एक फल भोग लगा दे।।

प्रेम और भक्ति से भरा हर
चीज़ स्वीकार मैं कर लूँगा।
इससे रहित कोई भी वस्तु 
अपने पास नहीं मैं रखूँगा।।

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