Sunday, January 15, 2017

अध्याय-9, श्लोक-21

ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं
क्षीणे पुण्य मर्त्यलोकं विशन्ति ।
एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना 
गतागतं कामकामा लभन्ते ॥ २१ ॥
इसप्रकार जब वे (उपासक) विस्तृत स्वर्गीय इन्द्रिय भोग को भोग लेते हैं और उनके पुण्य कर्मों के फल क्षीण हो जाते हैं तो वे इस मृत्युलोक में पुनः लौट आते हैं। इसतरह जो तीन वेदों के सिद्धांतों में दृढ़ रहकर इन्द्रिय सुख की गवेषना करते हैं, उन्हें जन्म-मृत्यु का चक्र ही मिल पाता है।
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जीव विशाल स्वर्ग लोक पहुँच
वहाँ के सुखों का भोग करता है।
जैसे ही पुण्य समाप्त हो जाता  
वापस यहाँ आना ही पड़ता है।।

इसतरह जो वेदों के अनुसार चल 
बस इन्द्रिय सुख के लिए जीते हैं।
वे ऐसे ही प्रयास और प्राप्ति करते 
जन्म-मृत्यु के चक्र में पड़े रहते हैं।।

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