येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विताः ।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् ॥ २३ ॥
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् ॥ २३ ॥
हे कुंतीपुत्र! जो लोग अन्य देवताओं के भक्त हैं और उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं, वास्तव में वे भी मेरी पूजा करते हैं, किंतु वे यह त्रुटिपूर्ण ढंग से करते हैं।
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हे कुंतीपुत्र! जो लोग अन्य
देवी-देवताओं के भक्त हैं।
उनकी पूजा में ही लगे रहते
श्रद्धा उनमें ही आसक्त है।।
पर वास्तव में ऐसे लोग भी
मेरी ही पूजा किया करते हैं।
अज्ञानता के कारण वे रास्ता
त्रुटियों वाला पकड़ लेते हैं।।
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