Thursday, June 15, 2017

अध्याय-10, श्लोक-1

श्रीभगवानुवाच
भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः ।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ १ ॥
श्री भगवान ने कहा-हे महाबाहु अर्जुन! और आगे सुनो। चूँकि तुम मेरे प्रिय सखा हो, अतः मैं तुम्हारे लाभ के लिए ऐसा ज्ञान प्रदान करूँगा, जो अभी तक मेरे द्वारा बताए गए ज्ञान में श्रेष्ठ होगा।
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श्री भगवान ने कहा अर्जुन से
ग्रहण करो मेरे ये परम उपदेश
दे रहा हूँ मैं ये दिव्य परम ज्ञान
तुम्हें अपना प्रिय व सखा देख।

हे महाबाहु ! तुम्हारे हित में ही
ये ज्ञान तुम्हें मैं बतला रहा हूँ
उन सब में ही श्रेष्ठ है ये ज्ञान
जितनी बातें अब तक कहा हूँ।।

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