Friday, June 16, 2017

अध्याय-10, श्लोक-10

तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्‌ ।
ददामि बद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ॥ १० ॥
जो प्रेमपूर्वक मेरी सेवा करने में निरंतर लगे रहते हैं, उन्हें मैं ज्ञान प्रदान करता हूँ, जिसके द्वारा वे मुझ तक आ सकते हैं।
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मुझसे मन जुड़ गया जिनका 
मेरा ही भजन करे जो निरंतर 
प्रेम पूर्वक मेरा स्मरण करते 
मुझसे ही आप्लावित अंतर।

ऐसे मधुर भक्त मुझसे दिव्य 
ऐसा बुद्धियोग प्राप्त करते हैं  
जिसके द्वारा वे सहजता से  
मुझ परमेश्वर तक आ सकते हैं।

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