महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा ।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः ॥ ६ ॥
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः ॥ ६ ॥
सप्तर्षिगण तथा उनसे भी पूर्व चार अन्य महर्षि एवं सारे मनु (मानवजाति के पूर्वज) सब मेरे मन से उत्पन्न हैं और विभिन्न लोकों में निवास करने वाले जीव उनसे अवतरित होते हैं।
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सप्तर्षिगण हो या उनसे पहले
प्रकट हुए सनकादि चारों कुमार
मुझसे ही उत्पन्न हुए हैं ये सब
मैं ही हूँ इनका एकमात्र आधार।
सारे मनु भी मेरे मन से हैं जन्मे
जिनसे ये मानव जाति आयी है
कोई भी मुझसे विलग नहीं यहाँ
ये सारी सृष्टि मेरी ही बनायी है।।
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