अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते ।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः ॥ ८ ॥
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः ॥ ८ ॥
मैं समस्त आध्यात्मिक और भौतिक जगतों का कारण हूँ, प्रत्येक वस्तु मुझ ही से उद्भूत है। जो बुद्धिमान ये भलीभाँति जानते हैं, वे मेरी प्रेमभक्ति में लगते हैं तथा हृदय से पूरी तरह मेरी पूजा में तत्पर होते हैं।
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मैं ही कारण सम्पूर्ण जगत का
मैं ही कारण सम्पूर्ण जगत का
भौतिक हो या हो आध्यात्मिक
मुझसे ही उत्पन्न होकर ये सब
मेरी शक्ति से ही होते कार्यान्वित।
विद्वान पुरुष इन सबको जान
मेरी प्रेमाभक्ति में लगा रहता है
मेरी अराधना में तत्पर वो रह
निरंतर मेरा ही स्मरण करता है।।
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