सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव ।
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः ॥ १४ ॥
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः ॥ १४ ॥
हे कृष्ण! आपने मुझसे जो भी कहा है, उसे मैं पूर्णतया सत्य मानता हूँ। हे प्रभु! न तो देवतागण, न असुरगण ही आपके स्वरूप को समझ सकते हैं।
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हे केशव! जो भी कहा है आपने
सब पर ही पूरा विश्वास रखता हूँ
आप के हर शब्द हर अक्षर को
मैं पूर्ण रूप से स्वीकार करता हूँ।
हे प्रभु!आपके दिव्य स्वरूप को
कोई भी नहीं समझ सकता है
चाहे वो शक्तिशाली असुर है
या फिर चाहे वह मृदु देवता है।।
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