यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत् ।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥ २७ ॥
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥ २७ ॥
हे कुंतीपुत्र! तुम जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, जो कुछ अर्पित करते हो या दान देते हो और जो भी तपस्या करते हो, उसे मुझे अर्पित करते हुए करो।
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हे कुंतीपुत्र!तुम जो भी करो
हर काम में मेरा ध्यान धरो।
जो खाते हो, यज्ञ करते हो
सब पहले मुझे अर्पित करो।।
दान देते हो किसी को या
तुम कोई तपस्या ही करो।
अपने सारे कर्मों को मुझे
समर्पित करते हुए करो।।