त्रिभिर्गुणमयैर्भावैरेभिः सर्वमिदं जगत् ।
मोहितं नाभिजानाति मामेभ्यः परमव्ययम् ॥ १३ ॥
मोहितं नाभिजानाति मामेभ्यः परमव्ययम् ॥ १३ ॥
तीनों गुणों (सतो, रजो तथा तमो) के द्वारा मोहग्रस्त यह सारा संसार मुझ गुणातीत तथा अविनाशी को नहीं जानता।
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यह सारा संसार प्रकृति के
तीन गुणों से मोहित रहता।
गुणों की लहरों के बीच ही
भवसागर में डूबता-उतरता।।
गुणों में फँसे लोग जगत के
मुझे कभी समझ नहीं पाते।
मैं हूँ अविनाशी, गुणों से परे
ये सत्य कहाँ वे जान पाते।।
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