Sunday, December 4, 2016

अध्याय-7, श्लोक-13

त्रिभिर्गुणमयैर्भावैरेभिः सर्वमिदं जगत्‌ ।
मोहितं नाभिजानाति मामेभ्यः परमव्ययम्‌ ॥ १३ ॥
तीनों गुणों (सतो, रजो तथा तमो) के द्वारा मोहग्रस्त यह सारा संसार मुझ गुणातीत तथा अविनाशी को नहीं जानता।
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यह सारा संसार प्रकृति के 
तीन गुणों से मोहित रहता।
गुणों की लहरों के बीच ही 
भवसागर में डूबता-उतरता।।

गुणों में फँसे लोग जगत के 
मुझे कभी समझ नहीं पाते।
मैं हूँ अविनाशी, गुणों से परे 
ये सत्य कहाँ वे जान पाते।।

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