Monday, December 5, 2016

अध्याय-7, श्लोक-15

न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः ।
माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिताः ॥ १५ ॥
जो निपट मूर्ख हैं, मनुष्यों में अधम हैं, जिनका ज्ञान माया द्वारा हर लिया गया है तथा जो असुरों की नास्तिक प्रकृति को धारण करनेवाले हैं, ऐसे दुष्ट मेरी शरण ग्रहण नहीं करते।
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अधर्मी, दुष्ट स्वभाव का व्यक्ति 
जिसका ज्ञान माया ने हर लिया।
वह निपट मूर्ख जिसने असुरों का 
नास्तिक स्वभाव धारण किया।।

वह तो मनुष्यों में अधम है होता 
और मेरी शरण में कभी न आता।
मेरी माया उसे यहाँ-वहाँ नचाती 
और वह व्यर्थ के दंभ में है रहता।।

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