Tuesday, December 20, 2016

अध्याय-9, श्लोक-4

मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेषवस्थितः ॥ ४ ॥
यह सम्पूर्ण जगत मेरे अव्यक्त रूप द्वारा व्याप्त है। समस्त जीव मुझमें है, किंतु मैं उनमें नहीं हूँ।
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दिखाई देता यह सारा संसार 
मेरे अव्यक्त रूप के कारण।
सम्पूर्ण जगत को मैंने ही तो 
कर रखा है स्वयं में धारण।।

सारे जीव जगत के मुझमें हैं 
सम्पूर्ण जगत में मैं स्थित हूँ।
सब हैं मेरे ही भीतर लेकिन 
मैं नहीं  उनमें  अवस्थित हूँ।।

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