Monday, December 19, 2016

अध्याय-8, श्लोक-23

यत्र काले त्वनावत्तिमावृत्तिं चैव योगिनः ।
प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ ॥ २३ ॥
हे भरतश्रेष्ठ! अब मैं तुम्हें उन विभिन्न कालों को बताऊँगा, जिनमें इस संसार से प्रयाण करने के बाद योगी पुनः आता है अथवा नहीं आता।
************************************
हे भरतश्रेष्ठ! अब मैं तुम्हें बताऊँ  
उन विभिन्न कालों के विषय में।
किस काल का क्या प्रभाव होता  
हमारे  जीवन के अंतिम समय में।।

किस काल में शरीर त्यागने पर 
योगी वापस नहीं आते हैं फिर से।
और किस काल शरीर छूटे अगर  
तो पुनर्जन्म निश्चित होता जिनसे।।

No comments:

Post a Comment