Sunday, December 18, 2016

अध्याय-8, श्लोक-18

अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे ।
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके ॥ १८ ॥
ब्रह्मा के दिन के शुभारम्भ में सारे जीव अव्यक्त अवस्था से व्यक्त होते हैं और फिर जब रात्रि आती है तो वे पुनः अव्यक्त में विलीन हो जाते हैं।
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ब्रह्मा के दिन की शुरुआत होती  
सारे जीवों को वह प्रकट करती है।
पहले जो जीव होते हैं अव्यक्त 
उन सब जीवों को व्यक्त करती है।।

जब ब्रह्मा की रात्रि आती है तब 
सब पुनः अव्यक्त में समा जाते है।
वह अव्यक्त जिसमें जीव समाते 
उसको हम ब्रह्म नाम से जानते हैं।।

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