Saturday, December 24, 2016

अध्याय-9, श्लोक-11

अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्‌ ।
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्‌ ॥ ११
जब मैं मनुष्य रूप में अवतरित होता हूँ, तो मूर्ख मेरा उपहास करते हैं। वे मुझ परमेश्वर के दिव्य स्वभाव को नहीं जानते।
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जब-जब मेरा मनुष्य रूप में इस
धरा-धाम पर अवतरण होता है।
मूर्ख मनुष्यों को मेरा दिव्य शरीर
अपने तरह ही भौतिक  लगता है।

वे तब मेरा उपहास हैं उड़ाते और
अपनी भाँति मरणशील समझते।
मैं ही हूँ सारे जीवों का परमेश्वर
मेरा स्वभाव वे जान ही नहीं पाते।।

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