पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥ ९ ॥
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥ ९ ॥
मैं ही पृथ्वी की आद्य सुगंध और अग्नि की ऊष्मा हूँ। मैं समस्त जीवों का जीवन तथा तपस्वियों का तप हूँ।
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पृथ्वी से आती
पवित्र सुगंध मैं।
अग्नि में उपस्थित
ऊष्मा भी मैं।।
समस्त जीवों का
मैं ही जीवन हूँ।
तपस्वियों का मैं
तप साधन हूँ।।
पृथ्वी से आती
पवित्र सुगंध मैं।
अग्नि में उपस्थित
ऊष्मा भी मैं।।
समस्त जीवों का
मैं ही जीवन हूँ।
तपस्वियों का मैं
तप साधन हूँ।।
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