अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः ।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् ॥ २४ ॥
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् ॥ २४ ॥
बुद्धिहीन मनुष्य मुझको ठीक से न जानने के कारण सोचते हैं कि मैं (भगवान कृष्ण) पहले निराकार था और अब मैंने इस स्वरूप को धारण किया है। वे अपने अल्पज्ञान के कारण मेरी अविनाशी तथा सर्वोच्च प्रकृति को नहीं जान पाते।
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बुद्धिहीन व्यक्ति मुझे ठीक से
जब जान-समझ ही नहीं पाते हैं।
तो मुझ अजन्मा परमेश्वर को भी
मनुष्य की भाँति जन्मा बताते हैं।।
अपनी अज्ञानता के कारण मेरा
अविनाशी रूप नहीं वे जान पाते।
और मेरी प्रकृति का परम प्रभाव
समझने से वे वंचित ही रह जाते।।
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