Sunday, December 18, 2016

अध्याय-8, श्लोक-17

सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः ।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः ॥ (१७)
मानवीय गणना के अनुसार एक हज़ार युग मिलकर ब्रह्मा का एक दिन बनता है और इतनी ही बड़ी ब्रह्मा की रात्रि भी होती है।
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सतयुग,त्रेता,द्वापर औ कलियुग
चारों मिल एक चतुर्युग बनते हैं।
ऐसे हजार चतुर्युग मिलते तो उसे  
उसे ब्रह्मा का एकदिन कहते हैं।।

ऐसी ही बड़ी हजार चतुर्युगों की
ब्रह्मा की एक रात्रि भी होती है।
समय के तत्त्व को जान पाते हैं
जिन्हें इसकी जानकारी होती है।।

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