Friday, December 16, 2016

अध्याय-8, श्लोक-15

मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्‌ ।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः ॥ १५ ॥
मुझे प्राप्त करके महापुरुष, जो भक्तियोगी हैं, कभी भी दुखों से पूर्ण इस अनित्य जगत में नहीं लौटते, क्योंकि उन्हें परम सिद्धि प्राप्त हो चुकी होती है।
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मुझे प्राप्त कर लेने के बाद इस 
संसार में फिर आना नहीं पड़ता।
दुःख भरे इस क्षणिक जगत में 
फिर आ कष्ट उठाना नहीं पड़ता।।

नहीं लौटते मेरे भक्त यहाँ दुबारा 
एक़बार जो वे मुझे पा जाते हैं।
परम सिद्धि को प्राप्त करके जो 
वे एक़बार मेरे धाम आ जाते हैं।।

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