Friday, December 9, 2016

अध्याय-7, श्लोक-29

जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये ।
ते ब्रह्म तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्‌ ॥ २९ ॥
जो जरा तथा मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं, वे बुद्धिमान व्यक्ति मेरी भक्ति की शरण ग्रहण करते हैं। वे वास्तव में ब्रह्म हैं क्योंकि वे दिव्य कर्मों के विषय में पूरी तरह से जानते हैं।
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बुढ़ापा और मृत्यु के बंधन से 
जो मुक्ति का प्रयास करते हैं।
ऐसे लोग ही होते हैं बुद्धिमान 
और मेरी शरण में ही आते हैं।।

ब्रह्म पद पर आसीन हैं ये लोग 
दिव्य कर्मों को भी ये जानते हैं।
मुझसे ही मिल सकती है मुक्ति 
ये सत्य भी भलीभाँति मानते हैं।।

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