अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप ।
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥ ३ ॥
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥ ३ ॥
हे परन्तप! जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते, वे मुझे प्राप्त नहीं कर पाते। अतः वे इस भौतिक जगत् में जन्म-मृत्यु के मार्ग पर वापस आते रहते हैं।
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हे परन्तप! जग के जो लोग
भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते हैं।
वे जीवन में अपने कभी भी
मुझे प्राप्त नहीं कर सकते हैं।।
मुझे प्राप्त न करने का अर्थ
यही संसार रहेगा ठिकाना।
जन्म लेकर बारम्बार आना
मृत्यु के संग फिर से जाना।।
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