बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते ।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥ १९ ॥
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥ १९ ॥
अनेक जन्म-जन्मांतर के बाद जिसे सचमुच ज्ञान होता है, वह मुझको समस्त कारणों का कारण जानकर मेरी शरण में आता है। ऐसा महात्मा अत्यंत दुर्लभ होता है।
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अनेकों जन्म लेने बाद जब
अंतिम जन्म उसका आता है।
तब उस जन्म में वह ज्ञानी
मेरी शरण में पहुँच पाता है।।
मैं ही सबमें और सब मुझमें
मुझ ही सबका कारण माने।
बड़े दुर्लभ होते ऐसे महात्मा
जो मुझे जैसा हूँ वैसा जाने।।
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