Thursday, November 10, 2016

अध्याय-4, श्लोक-34

तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया ।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्वदर्शिनः ॥ ३४ ॥
तुम गुरु के पास जाकर सत्य जानने का प्रयास करो। उनसे विनीत होकर जिज्ञासा करो और उनकी सेवा करो। स्वरूपसिद्ध व्यक्ति तुम्हें ज्ञान प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य का दर्शन किया है।
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गुरु के पास जाकर इन यज्ञों के
विषय में जानने का प्रयास करो।
पूर्ण शरणागत हो, सेवा करके 
विनीत भाव से  जिज्ञासा करो।।

तुम्हारी हर जिज्ञासा का समाधान 
स्वरूपसिद्ध व्यक्ति कर सकते हैं।
जो तुम जानना चाहते हो आज वे 
पहले से उन सत्यों को जानते हैं।।

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