Monday, November 14, 2016

अध्याय-5, श्लोक-16

ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः ।
तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम्‌ ॥ १६ ॥
किंतु जब कोई उस ज्ञान से प्रबुद्ध होता है, जिससे अविद्या का विनाश होता है, तो उसके ज्ञान से सब कुछ उसी तरह प्रकट हो जाता है, जैसे दिन में सूर्य से सारी वस्तुएँ प्रकाशित हो जाती हैं।
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लेकिन जब जीव का अज्ञान 
उच्च ज्ञान से मिट जाता है।
अविद्या समाप्त हो जाती है 
वास्तविकता देख पाता है।।

सारे भ्रम मिट जाते हैं उसके 
फिर सत्य समक्ष ऐसे आता है।
जैसे सूर्य के उदित हो जाने पर 
हर पदार्थ प्रकट हो जाता है।।

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