जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः ।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः ॥ ७ ॥
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः ॥ ७ ॥
जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है क्योंकि उसने शांति प्राप्त कर ली है। ऐसे पुरुष के लिए सुख-दुःख, सर्दी-गर्मी एवं मान-अपमान एक ही है।
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मन को जिसने जीत लिया है
उसने प्रभु को प्राप्त किया है।
प्रभु को पा लेने का मतलब है
परम शांति को पा लिया है ।।
फिर तो वह व्यक्ति के जग के
सुख-दुःख से ऊपर उठ जाता।
सर्दी-गर्मी हो या मान -अपमान
सब उसके लिए एक ही होता।।
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