Thursday, November 10, 2016

अध्याय-4, श्लोक-37

यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन ।
ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा ॥ ३७ ॥
जैसे प्रज्ज्वलित अग्नि ईंधन को भस्म कर देती है, उसी तरह हे अर्जुन! ज्ञान रूपी अग्नि भौतिक कर्मों के समस्त फलों को जला डालती है।
*******************************
ईंधन कितना विशाल क्यों न हो 
पर अग्नि के समक्ष टिक न पाता।
अग्नि की लपटों में समाकर वह 
देखते-देखते ही ख़ाक बन जाता।।

उसीप्रकार हे अर्जुन! ज्ञान भी जब 
अग्नि जैसा प्रज्ज्वलित है होता।
समस्त सांसारिक कर्मफलों को
निश्चित जलाकर भस्म कर देता।।

No comments:

Post a Comment