Thursday, November 10, 2016

अध्याय-4, श्लोक-39

श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः ।
ज्ञानं लब्धवा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥ ३९ ॥
जो श्रद्धालु दिव्यज्ञान में समर्पित है और जिसने इंद्रियों को वश में कर लिया है, वह इस ज्ञान को प्राप्त करने का अधिकारी है और इसे प्राप्त करते ही वह तुरंत आध्यात्मिक शांति को प्राप्त होता है।
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ज्ञान के प्रति श्रद्धा होती है जिसकी 
जो होता इसके प्रति पूर्ण समर्पित।
जिसका अपने ऊपर रहता है संयम  
इंद्रियाँ भी होती जिसकी नियंत्रित।।

इस दिव्य ज्ञान को प्राप्त करने का 
वह व्यक्ति ही अधिकारी होता है।
ज्ञान के साथ-साथ तत्क्षण ही वह 
जीवन की परम शांति भी पाता है।।

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