Sunday, November 27, 2016

अध्याय-6, श्लोक-39

एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः ।
त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते ॥ ३९ ॥
हे कृष्ण! यही मेरा संदेह है और मैं आपसे पूर्णतया दूर करने की प्रार्थना कर रहा हूँ। आपके अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा नहीं है, जो इस संदेह को नष्ट कर सके।
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हे कृष्ण! यही मेरी संदेह है
जिससे मैं भ्रमित हो रहा हूँ।
इसे दूर करने की कृपा करें
आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ।।

आपके सिवा कोई और नहीं
जो मुझे सह-सही बता सके।
अपने ज्ञान से मेरे संशयों को
सदा के लिए ही मिटा सके।।

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