Tuesday, November 29, 2016

अध्याय-7, श्लोक-2

ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः ।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते ॥ २ ॥
अब मैं तुमसे पूर्णरूप से व्यावहारिक तथा दिव्य ज्ञान कहूँगा। इस जान लेने पर तुम्हें जानने के लिए और कुछ भी शेष नहीं रहेगा।
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अब मैं तुम्हें जो ज्ञान बताऊँगा 
वह पूरी तरह से व्यावहारिक है।
यह सिर्फ़ पुस्तक का ज्ञान नहीं 
यह तो अनुभव पर आधारित है।।

इस ज्ञान को तुम जीवन में अपने
अगर पूरी तरह से जो उतार लो।
फिर कुछ शेष नहीं इस जग में
जिसे जानने का तुम प्रयास करो।।

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