Friday, October 7, 2016

अध्याय-2, श्लोक-16

नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः ।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्वदर्शिभिः ॥ १६ ॥
तत्त्वदर्शियों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि असत् (भौतिक शरीर) का तो कोई चिरस्थायित्व नही है, किंतु सत् (आत्मा) अपरिवर्तित रहता है। उन्होंने इन दोनों की प्रकृति के अध्ययन द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है।
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शरीर और आत्मा में है भेद बारी 
तत्त्व ज्ञानीयों ने हमें बतलाया है।
दोनों के गुणों का अध्ययन किया  
फिर सामने निष्कर्ष यही आया है।।

शरीर हमारा भौतिक  व  क्षणिक 
हर पल इसमें परिवर्तन है होता।
आत्मा सदा अपरिवर्तित है रहती  
अस्तित्व उसका कभी नही खोता।।

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