Monday, October 31, 2016

अध्याय-3, श्लोक-37

श्रीभगवानुवाच
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः ।
महाशनो महापाप्मा विद्धयेनमिह वैरिणम्‌ ॥ ३७ ॥
श्रीभगवान ने कहा-हे अर्जुन! इसका कारण रजोगुण के सम्पर्क से उत्पन्न काम है, जो बाद में क्रोध का रूप धारण  करता है और जो इस संसार का सर्वभक्षी पापी शत्रु है।
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भगवान ने कहा कि हे अर्जुन सुनो 
काम ही है समस्त पाप का कारण।
रजोगुण से उत्पन्न होनेवाला काम  
बाद में करता क्रोध का रूप धारण।।

ये काम और क्रोध बड़े ही पापी हैं 
ये दोनों कभी भी तृप्त नही हो पाते।
इनसे बड़ा कोई शत्रु नही जीव का 
ये उनका समस्त  भक्षण कर जाते।।

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