Thursday, October 27, 2016

अध्याय-3, श्लोक-31

ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः ।
श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽति कर्मभिः ॥ ३१ ॥
जो व्यक्ति मेरे उपदेशों के अनुसार अपना कर्त्तव्य करते रहते हैं और ईर्ष्यारहित होकर इस उपदेश का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं, वे सकाम कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।
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जो भी मनुष्य मेरे इन आदेशों को 
जीवन में अपने श्रद्धा से अपनाते हैं।
मेरे उपदेशों को ही आधार बना कर 
अपने सारे नियत कर्म करते जाते हैं।।

ऐसे लोग हर दायित्व निभाते है पर 
आत्म ज्ञान से होते हैं सदा ही युक्त।
जग में रहकर नियत कर्म करके भी 
ये हर कर्म बंधन से रहते  हैं मुक्त।।

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